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Raipur, Chhattisgarh, India
ज्यादा से ज्यादा शेयर करे (कांग्रेस का भारत की जनता को मारने का प्लान)

क्या पूरी दुनिया में सिर्फ भारत के लोग ही मिले है एक्सपेरिमेंट करने के लिए लिए?? मित्रो, आज एक ऐसा मुद्दा उठा रहा हूँ जो भारत की जनता के स्वस्थ्य को तै करेगा | 

जेनेटिक-मॉडिफाइड फसल हमारे देश में बेचने की पूरी साजिश रची जा चुकी है और MNC लॉबी यह कहकर देश की जनता को गुमराह कर रही है की इसके कोई भी नुक्सान नहीं है | 

अगर इस फसल का कोई भी नुक्सान नहीं है तोह क्यूँ Europe में GM(Genetic Modify) खाद्य पदार्थ बंद है ? क्यूँ अमेरिका में बंद है ?

जेनेटिक मॉडिफाइड वो फल सब्जी या अनाज होता है जिका DNA बदल दिया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा फसल हो सके |

DNA वो पदार्थ होता है जो इंसान को इंसान बनता है और पशु को पशु . पशुओ और इंसानों में मुश्किल से 5% DNA का फर्क होता है |

आज हमें नहीं पता की DNA बदले जाने पर अनाज किस प्रकार का उगा है और लम्बे समय तक उसका मानव जाती पर क्या प्रभाव पड़ेगा | इसिलए यह सभी विदेशी लोग अपने लालच के चक्कर में सारा अनाज भारत को बेचने में लगे है और भारत की चोर लुटेरी कांग्रेस सरकार भी इनका साथ दे रही है |

अगर भारत में ऐसा ही चलता रहा तोह भविष्य में वो वक्त भी भारत देख सकता है जब पूरा देश बीमारियों से ग्रसित होगा और इलाज मिलने से पहले पूरे देश की जनता बिमारी के कारण सब कुछ खो दे अपने प्राण भी |

DNA के साथ खेलना प्रकृति का काम है इंसानों का नहीं | अगर इंसान प्रकृति के काम में ऊँगली करेगा तोह इसके परिणाम बहुत भयानक होंगे , इतने भयानक की इंसान कल्पना भी नहीं कर सकता |

कैंसर बहुत तेज़ी से बड़ रहा है


कैंसर बहुत तेज़ी से बड़ रहा है इस देश में । हर साल बीस लाख लोग कैंसर से मर
रहे है और हर साल नए Cases आ रहे है । और सभी डॉक्टर्स हात-पैर डाल चुके है ।
राजीव भाई की एक छोटी सी विनती है याद रखना के … " कैंसर के patient को कैंसर
से death नही होती है, जो treatment दिया जाता है उससे death होती है " । माने
कैंसर से जादा खतरनाक कैंसर का treatment है । Treatment कैसा है आप सभी जानते
है .. Chemotherapy दे दिया, Radiotherapy दे दिया, Cobalt-therapy दे दिया ।
इसमें क्या होता है के शारीर का जो प्रतिरक्षक शक्ति है Resistance वो बिलकुल
ख़तम हो जाते है । जब Chemotherapy दिए जाते है ये बोल कर के हम कैंसर के सेल
को मारना चाहते है तो अछे सेल भी उसी के साथ मर जाते है । राजीव भाई के पास
कोई भी रोगी जो आया Chemotherapy लेने के बाद वे उनको बचा नही पाए । लेकिन
इसका उल्टा भी रिकॉर्ड है .. राजीव भाई के पास बिना Chemotherapy लिए हुए कोई
भी रोगी आया Second & third Stage तक वो एक भी नही मर पाया अभी तक ।

मतलब क्या है Treatment लेने के बाद जो खर्च आपने कर दिया वो तो गया ही और
रोगी भी आपके हात से गया । डॉक्टर आपको भूल भुलैया में रखता है अभी 6 महीने
में ठीक हो जायेगा 8 महीने में ठीक हो जायेगा लेकिन अंत में वो जाता ही है ,
कभी हुआ नही है के Chemotherapy लेने के बाद कोई बच पाया हो । आपके घर परिवार
में अगर किसीको कैंसर हो जाये तो जादा खर्चा मत करिए कियों की जो खर्च आप
करेंगे उससे मरीज का तो भला नही होगा उसको इतना कष्ट होता है की आप कल्पना नही
कर सकते ।

उसको जो injections दिए जाते है, जो Tablets खिलाई जाती है, उसको जो
Chemotherapy दी जाती है उससे सारे बाल उड़ जाते है, भ्रू के बाल उड़ जाते है,
चेहरा इतना डरावना लगता है के पहचान में नही आता ये अपना ही आदमी है। इतना
कष्ट कियों दे रहे हो उसको ? सिर्फ इसलिए के आपको एक अहंकार है के आपके पास
बहुत पैसा है तो Treatment कराके ही मानुगा ! होता ही नही है वो, और आप अपनी
आस पड़ोस की बाते जादा मत सुनिए क्योंकि आजकल हमारे Relatives बहुत Emotionally
Exploit करते है । घर में किसीको गंभीर बीमारी हो गयी तो जो रिश्तेदार है वो
पहले आके कहते है ' अरे All India नही ले जा रहे हो? PGI नही ले जा रहे हो ?
Tata Institute बम्बई नही ले जा रहे हो ? आप कहोगे नही ले जा रहा हूँ मेरे घर
में ही चिकित्सा .... अरे तुम बड़े कंजूस आदमी हो बाप के लिए इतना भी नही कर
सकते माँ के लिए इतना नही कर सकते " । ये बहुत खतरनाक लोग होते है !! हो सकता
है कई बार वो Innocently कहते हो, उनका intention ख़राब नही होता हो लेकिन उनको
Knowledge कुछ भी नही है, बिना Knowledge के वो suggestions पे suggestions
देते जाते है और कई बार अच्छा खासा पड़ा लिखा आदमी फंसता है उसी में .. रोगी को
भी गवाता है पैसा भी जाता है ।कैंसर के लिए क्या करे ? हमारे घर में कैंसर के लिए एक बहुत अछि दावा है ..अब

डॉक्टर ने मान लिया है पहले तो वे मानते भी नही थे; एक ही दुनिया में दावा है
Anti-Cancerous उसका नाम है " हल्दी " । हल्दी कैंसर ठीक करने की ताकत रखता है
। हल्दी में एक केमिकल है उसका नाम है कर्कुमिन (Carcumin) और ये ही कैंसर
cells को मार सकता है बाकि कोई केमिकल बना नही दुनिया में और ये भी आदमी ने
नही भगवान ने बनाया है । हल्दी जैसा ही कर्कुमिन और एक चीस में है वो है देशी
गाय के मूत्र में । गोमूत्र माने देशी गाय के शारीर से निकला हुआ सीधा सीधा
मूत्र जिसे सूती के आट परत की कपड़ो से छान कर लिया गया हो । तो देशी गाय का
मूत्र अगर आपको मिल जाये और हल्दी आपके पास हो तो आप कैंसर का इलाज आसानी से
कर पायेंगे । अब देशी गाय का मूत्र आधा कप और आधा चम्मच हल्दी दोनों मिलाके
गरम करना जिससे उबाल आ जाये फिर उसको ठंडा कर लेना । Room Temperature में आने
के बाद रोगी को चाय की तरहा पिलाना है .. चुस्किया ले ले के सिप कर कर । एक और
आयुर्वेदिक दावा है पुनर्नवा जिसको अगर आधा चम्मच इसमें मिलायेंगे तो और अच्छा
result आयेगा । ये Complementary है जो आयुर्वेद के दुकान में पाउडर या छोटे
छोटे पीसेस में मिलती है ।


इस दावा में सिर्फ देशी गाय का मूत्र ही काम में आता है जेर्सी का मूत्र कुछ
काम नही आता । और जो देशी गाय काले रंग का हो उसका मूत्र सबसे अच्छा परिणाम
देता है इन सब में । इस दवा को (देशी गाय की मूत्र, हल्दी, पुनर्नवा ) सही
अनुपात में मिलाके उबालके ठंडा करके कांच की पात्र में स्टोर करके रखिये पर
बोतल को कभी फ्रिज में मत रखिये, धुप में मत रखिये । ये दावा कैंसर के सेकंड
स्टेज में और कभी कभी थर्ड स्टेज में भी बहुत अछे परिणाम देते है । जब स्टेज
थर्ड क्रोस करके फोर्थ में पोहुंच गया तब रिजल्ट में प्रॉब्लम आती है । और अगर
अपने किसी रोगी को Chemotherapy बैगेरा दे दिया तो फिर इसका कोई असर नही आता !
कितना भी पिलादो कोई रिजल्ट नही आता, रोगी मरता ही है । आप अगर किसी रोगी को
ये दावा दे रहे है तो उसे पूछ लीजिये जान लीजिये कहीं Chemotherapy सुरु तो
नही हो गयी ? अगर सुरु हो गयी है तो आप उसमे हात मत डालिए, जैसा डॉक्टर करता
है करने दीजिये, आप भगवान से प्रार्थना कीजिये उसके लिए .. इतना ही करे । और
अगर Chemotherapy स्टार्ट नही हुई है और उसने कोई अलोप्यथी treatment सुरु नही
किया तो आप देखेंगे इसके Miraculous रिजल्ट आते है । ये सारी दवाई काम करती है
बॉडी के resistance पर, हमारी जो vitality है उसको improve करता है, हल्दी को
छोड़ कर गोमूत्र और पुनर्नवा शारीर के vitality को improve करती है और vitality
improve होने के बाद कैंसर cells को control करते है ।तो कैंसर के लिए आप अपने जीवन में इस तरह से काम कर सकते है; इसके इलावा भी
बहुत सारी मेडिसिन्स है जो थोड़ी complicated है वो कोई बहुत अच्छा डॉक्टर या
वैद्य उसको हंडल करे तभी होगा आपसे अपने घर में नही होगा । इसमें एक सावधानी
रखनी है के गाय के मूत्र लेते समय वो गर्वबती नही होनी चाहिए। गाय की जो बछड़ी
है जो माँ नही बनी है उसका मूत्र आप कभी भी use कर सकते है।
ये तो बात हुई कैंसर के चिकित्सा की, पर जिन्दगी में कैंसर हो ही न ये और भी
अच्छा है जानना । तो जिन्दगी में आपको कभी कैंसर न हो उसके लिए एक चीज याद
रखिये के, हमेसा जो खाना खाए उसमे डालडा तो नही है ? उसमे refined oil तो नही
है ? ये देख लीजिये, दूसरा जो भी खाना खा रहे है उसमे रसेदार हिस्सा जादा होना
चाहिए जैसे छिल्केवाली डाले, छिल्केवाली सब्जिया खा रहे है , चावल भी
छिल्केवाली खा रहे है तो बिलकुल निश्चिन्त रहिये कैंसर होने का कोई चान्स नही
है ।
और कैंसर के सबसे बड़े कारणों में से दो तिन कारन है, एक तो कारन है तम्बाकू,
दूसरा है बीड़ी और सिगरेट और गुटका ये चार चीजो को तो कभी भी हात मत लगाइए
क्योंकि कैंसर के maximum cases इन्ही के कारन है पुरे देश में ।

कैंसर के बारे में सारी दुनिया एक ही बात कहती है चाहे वो डॉक्टर हो, experts
हो, Scientist हो के इससे बचाओ ही इसका उपाय है ।
महिलाओं को आजकल बहुत कैंसर है uterus में गर्वशय में, स्तनों में और ये काफी
तेजी से बड़ रहा है .. Tumour होता है फिर कैंसर में convert हो जाता है । तो
माताओं को बहनों को क्या करना चाहिए जिससे जिन्दगी में कभी Tumour न आये ?
आपके लिए सबसे अच्छा prevention है की जैसे ही आपको आपके शारीर के किसी भी
हिस्से में unwanted growth (रसोली, गांठ) का पता चले तो जल्द ही आप सावधान हो
जाइये । हलाकि सभी गांठ और सभी रसोली कैंसर नही होती है 2-3% ही कैंसर में
convert होती है लेकिन आपको सावधान होना तो पड़ेगा । माताओं को अगर कहीं भी
गांठ या रसोली हो गयी जो non-cancerous है तो जल्दी से जल्दी इसे गलाना और घोल
देने का दुनिया में सबसे अछि दावा है " चुना " । चुन वोही जो पान में खाया
जाता है, जो पोताई में इस्तेमाल होता है ; पानवाले की दुकान से चुना ले आइये
उस चुने को कनक के दाने के बराबर रोज खाइये; इसको खाने का तरीका है पानी में
घोल के पानी पी लीजिये, दही में घोल के दही पी लीजिये, लस्सी में घोल के लस्सी
पी लीजिये, डाल में मिलाके दाल खा लीजिये, सब्जी में डाल के सब्जी खा लीजिये ।
पर ध्यान रहे पथरी के रोगी के लिए चुना बर्जित है ।
आपने पूरी पोस्ट पड़ी इसके लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।
वन्देमातरम ।।

रिफाइन तेल के बारे में ......

आज से 50 साल पहले तो कोई रिफाइन तेल के बारे में जानता नहीं था, ये पिछले 20 -25 वर्षों से हमारे देश में आया है | कुछ विदेशी कंपनियों और भारतीय कंपनियाँ इस धंधे में लगी हुई हैं | इन्होने चक्कर चलाया और टेलीविजन के माध्यम से जम कर प्रचार किया लेकिन लोगों ने माना नहीं इनकी बात को, तब इन्होने डोक्टरों के माध्यम से कहलवाना शुरू किया | डोक्टरों ने अपने प्रेस्क्रिप्सन में रिफाइन तेल लिखना शुरू किया कि तेल खाना तो सफोला का खाना या सनफ्लावर का खाना, ये नहीं कहते कि तेल, सरसों का खाओ या मूंगफली का खाओ, अब क्यों, आप सब समझदार हैं समझ सकते हैं |

ये रिफाइन तेल बनता कैसे हैं ? मैंने देखा है और आप भी कभी देख लें तो बात समझ जायेंगे | किसी भी तेल को रिफाइन करने में 6 से 7 केमिकल का प्रयोग किया जाता है और डबल रिफाइन करने में ये संख्या 12 -13 हो जाती है | ये सब केमिकल मनुष्य के द्वारा बनाये हुए हैं प्रयोगशाला में, भगवान का बनाया हुआ एक भी केमिकल इस्तेमाल नहीं होता, भगवान का बनाया मतलब प्रकृति का दिया हुआ जिसे हम ओरगेनिक कहते हैं | तेल को साफ़ करने के लिए जितने केमिकल इस्तेमाल किये जाते हैं सब Inorganic हैं और Inorganic केमिकल ही दुनिया में जहर बनाते हैं और उनका combination जहर के तरफ ही ले जाता है | इसलिए रिफाइन तेल, डबल रिफाइन तेल गलती से भी न खाएं | फिर आप कहेंगे कि, क्या खाएं ? तो आप शुद्ध तेल खाइए, सरसों का, मूंगफली का, तीसी का, या नारियल का | अब आप कहेंगे कि शुद्ध तेल में बास बहुत आती है और दूसरा कि शुद्ध तेल बहुत चिपचिपा होता है | हमलोगों ने जब शुद्ध तेल पर काम किया या एक तरह से कहे कि रिसर्च किया तो हमें पता चला कि तेल का चिपचिपापन उसका सबसे महत्वपूर्ण घटक है | तेल में से जैसे ही चिपचिपापन निकाला जाता है तो पता चला कि ये तो तेल ही नहीं रहा, फिर हमने देखा कि तेल में जो बास आ रही है वो उसका प्रोटीन कंटेंट है, शुद्ध तेल में प्रोटीन बहुत है, दालों में ईश्वर का दिया हुआ प्रोटीन सबसे ज्यादा है, दालों के बाद जो सबसे ज्यादा प्रोटीन है वो तेलों में ही है, तो तेलों में जो बास आप पाते हैं वो उसका Organic content है प्रोटीन के लिए | 4 -5 तरह के प्रोटीन हैं सभी तेलों में, आप जैसे ही तेल की बास निकालेंगे उसका प्रोटीन वाला घटक गायब हो जाता है और चिपचिपापन निकाल दिया तो उसका Fatty Acid गायब | अब ये दोनों ही चीजें निकल गयी तो वो तेल नहीं पानी है, जहर मिला हुआ पानी | और ऐसे रिफाइन तेल के खाने से कई प्रकार की बीमारियाँ होती हैं, घुटने दुखना, कमर दुखना, हड्डियों में दर्द, ये तो छोटी बीमारियाँ हैं, सबसे खतरनाक बीमारी है, हृदयघात (Heart Attack), पैरालिसिस, ब्रेन का डैमेज हो जाना, आदि, आदि | जिन-जिन घरों में पुरे मनोयोग से रिफाइन तेल खाया जाता है उन्ही घरों में ये समस्या आप 
जब हमने सफोला का तेल लेबोरेटरी में टेस्ट किया, सूरजमुखी का तेल, अलग-अलग ब्रांड का टेस्ट किया तो AIIMS के भी कई डोक्टरों की रूचि इसमें पैदा हुई तो उन्होंने भी इसपर काम किया और उन डोक्टरों ने जो कुछ भी बताया उसको मैं एक लाइन में बताता हूँ क्योंकि वो रिपोर्ट काफी मोटी है और सब का जिक्र करना मुश्किल है, उन्होंने कहा "तेल में से जैसे ही आप चिपचिपापन निकालेंगे, बास को निकालेंगे तो वो तेल ही नहीं रहता, तेल के सारे महत्वपूर्ण घटक निकल जाते हैं और डबल रिफाइन में कुछ भी नहीं रहता, वो छूँछ बच जाता है, और उसी को हम खा रहे हैं तो तेल के माध्यम से जो कुछ पौष्टिकता हमें मिलनी चाहिए वो मिल नहीं रहा है |" आप बोलेंगे कि तेल के माध्यम से हमें क्या मिल रहा ? मैं बता दूँ कि हमको शुद्ध तेल से मिलता है HDL (High Density Lipoprotin), ये तेलों से ही आता है हमारे शरीर में, वैसे तो ये लीवर में बनता है लेकिन शुद्ध तेल खाएं तब | तो आप शुद्ध तेल खाएं तो आपका HDL अच्छा रहेगा और जीवन भर ह्रदय रोगों की सम्भावना से आप दूर रहेंगे |

अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा विदेशी तेल बिक रहा है | मलेशिया नामक एक छोटा सा देश है हमारे पड़ोस में, वहां का एक तेल है जिसे पामोलिन तेल कहा जाता है, हम उसे पाम तेल के नाम से जानते हैं, वो अभी भारत के बाजार में सबसे ज्यादा बिक रहा है, एक-दो टन नहीं, लाखो-करोड़ों टन भारत आ रहा है और अन्य तेलों में मिलावट कर के भारत के बाजार में बेचा जा रहा है | 7 -8 वर्ष पहले भारत में ऐसा कानून था कि पाम तेल किसी दुसरे तेल में मिला के नहीं बेचा जा सकता था लेकिन GATT समझौता और WTO के दबाव में अब कानून ऐसा है कि पाम तेल किसी भी तेल में मिला के बेचा जा सकता है | भारत के बाजार से आप किसी भी नाम का डब्बा बंद तेल ले आइये, रिफाइन तेल और डबल रिफाइन तेल के नाम से जो भी तेल बाजार में मिल रहा है वो पामोलिन तेल है | और जो पाम तेल खायेगा, मैं स्टाम्प पेपर पर लिख कर देने को तैयार हूँ कि वो ह्रदय सम्बन्धी बिमारियों से मरेगा | क्योंकि पाम तेल के बारे में सारी दुनिया के रिसर्च बताते हैं कि पाम तेल में सबसे ज्यादा ट्रांस-फैट है और ट्रांस-फैट वो फैट हैं जो शरीर में कभी dissolve नहीं होते हैं, किसी भी तापमान पर dissolve नहीं होते और ट्रांस फैट जब शरीर में dissolve नहीं होता है तो वो बढ़ता जाता है और तभी हृदयघात होता है, ब्रेन हैमरेज होता है और आदमी पैरालिसिस का शिकार होता है, डाईबिटिज होता है, ब्लड प्रेशर की शिकायत होती है |
पाएंगे, अभी तो मैंने देखा है कि जिनके यहाँ रिफाइन तेल इस्तेमाल हो रहा है उन्ही के यहाँ Heart Blockage और Heart Attack की समस्याएं हो रही है |